बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-3 राजनीति विज्ञान बीए सेमेस्टर-3 राजनीति विज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-3 राजनीति विज्ञान
प्रश्न- भ्रष्टाचार से आप क्या समझते हैं? इसके प्रकारों का वर्णन कीजिए।
उत्तर -
भ्रष्टाचार
भ्रष्टाचार लोक प्रशासन के क्षेत्र में एक ऐसा रोग है, जिससे समस्त समाज को परेशानियाँ उठानी पड़ रही हैं। भ्रष्टाचार एक बहुआयामी अवधारणा है। यह अपने आप में इतना व्यापक एवं विस्तृत है कि इसकी कोई एक स्पष्ट एवं सटीक परिभाषा नहीं दी जा सकती है। यद्यपि इसे सार्वजनिक धन के व्यक्तिगत लाभ के लिए प्रयोग किया जा सकता है। सामान्यतः भ्रष्टाचार का आशय तौर-तरीकों, नैतिकता और आदर्शों में विसंगति से लिया जाता है। अर्थात् नैतिक और सामाजिक मूल्यों की उपेक्षा कर अपने कर्त्तव्यों से विमुख होकर अपने अधिकारों एवं साधनों का दुरुपयोग करना ही भ्रष्टाचार है।
भ्रष्टाचार का अंग्रेजी पर्याप्त Corruption लैटिन भाषा के शब्द Corrputue से लिया गया है, जिसका अर्थ है- तोड़ना या नष्ट करना। इसके अतिरिक्त भ्रष्टाचार भ्रष्ट एवं आचरण से मिलकर बना है, जिसमें भ्रष्ट का अर्थ है बिगड़ा हुआ, बुरा तथा आचरण का अर्थ है व्यवहार अर्थात् बिगड़ा हुआ या बुरा व्यवहार करना ही भ्रष्टाचार है। अतः यह ऐसा बिगड़ा हुआ व्यवहार है, जिसकी अपेक्षा लोक-सेवकों से नहीं की जा सकती है। वस्तुतः भ्रष्टाचार नैतिकता की विफलता को इंगित करता है। इसमें सरकारी विभागों से संविदायें, मंजूर कराना, कर्मचारियों की भर्ती में धांधली, घटिया परियोजना और विनियमों को लागू करवाना, खाद्यान्न वस्तुओं और दवाओं में मिलावट आदि भ्रष्टाचार के कुछ भयानक उदाहरण हैं।
के. संथानम समिति के अनुसार, “सरकारी कर्मचारी द्वारा कार्य निष्पादन के दौरान ऐसा कृत्य जो किसी स्वार्थ की दृष्टि से किया जाए अथवा जानबूझकर कार्य नहीं किया जाए भ्रष्टाचार की श्रेणी में आता है।"
भारतीय दंड विधान की धारा-161 के अनुसार, "कोई भी सार्वजनिक कर्मचारी वैध पारिश्रमिक के अतिरिक्त अपने या किसी अन्य व्यक्ति के लिए जब कोई आर्थिक लाभ इसलिए लेता है कि सरकारी निर्णय पक्षपातपूर्ण तरीके से किया जा सके तो वह भ्रष्टाचार है तथा इससे सम्बन्धित व्यक्ति भ्रष्टाचारी है।"
ट्रांसपैरेंसी इन्टरनेशनल के अनुसार, "सौंपी गई शक्ति का निजी लाभ के लिए दुरुपयोग करना ही भ्रष्टाचार है।"
भ्रष्टाचार के प्रकार
भ्रष्टाचार को उसकी प्रकृति, क्षेत्र तथा उद्देश्यों के आधार पर कई प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है। भ्रष्टाचार के विभिन्न संस्थाओं द्वारा विभिन्न रूप बताए गए हैं जो निम्न प्रकार हैं-
विश्व बैंक के अनुसार, “विश्व बैंक ने भ्रष्टाचार को उसकी प्रवृत्ति क्षेत्र तथा उद्देश्यों के आधार पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर 6 प्रकारों में वर्गीकृत किया जो निम्न है.-
1. प्रशासनिक - प्रशासन में सर्वाधिक प्रवर्तित इस श्रेणी में लोकनीति नियमों तथा प्रक्रियाओं में हेर-फेर करके किसी को अवैध लाभ पहुँचाया जाता है।
2. राजनीतिक भ्रष्टाचार - वोट खरीदने से लेकर नीति एवं कानून के निर्माण एवं क्रियान्वयन तक की प्रक्रिया में सम्मिलित राजनीतिक नेतृत्व द्वारा किया जाने वाला भ्रष्टाचार राजनीतिक भ्रष्टाचार कहलाता है।
3. लोक भ्रष्टाचार - जनता की सुविधा के लिए बनाए गए संगठनों का इस्तेमाल निजी लाभ के लिए करना ही लोक भ्रष्टाचार है।
4. निजी भ्रष्टाचार - जनता की सुविधा के लिए बनाए गए संगठनों का इस्तेमाल निजी लाभ के लिए करना ही लोक भ्रष्टाचार है।
5. वृहद भ्रष्टाचार - उच्च स्तर पर किया जाने वाला भ्रष्टाचार, जिसमें राजनीतिज्ञों से उच्च अधिकारी तक प्रत्यक्ष रूप से लिप्त रहते हैं। हालांकि आम जनता पर इसका प्रभाव अप्रत्यक्ष रूप से पड़ता है। जैसे- उच्च स्तरों पर पैसे का भारी लेन-देन करना पड़ता है।
6. लघु भ्रष्टाचार - निचले स्तर पर व्याप्त छोटा या फुटकर भ्रष्टाचार जो जोर जबरदस्ती के साथ किया जाता है तथा आम जनता को सीधे प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करता है और यह फुटकर या छोटा भ्रष्टाचार पूरे देश में बड़े पैमाने पर फैला हुआ है। जैसे 1- कम पैसे लेकर छोटे कर्मिकों द्वारा किया जाने वाला भ्रष्टाचार।
केन्द्रीय सतर्कता आयोग के अनुसार
केन्द्रीय सतर्कता आयोग ने भ्रष्टाचार को उसकी प्रकृति, क्षेत्र व विषय-वस्तु के आधार पर निम्न प्रकारों में वर्गीकृत किया है, जो निम्नानुसार है -
1. शासकीय पद या अधिकारों एवं शक्तियों का दुरुपयोग करना
2. सार्वजनिक धन और कोष का दुरुपयोग करना।
3. निम्नस्तरीय वस्तुओं या कार्य को स्वीकार करना।
4. आय से अधिक सम्पत्ति रखना।
5. अनैतिक आचरण करना।
6. उपहार प्राप्त करना।
7. ठेकेदारों एवं फर्मों को रियायतें प्रदान करना।
8. लालच एवं अन्य कारणों से शासन को हानि पहुँचाना।
9. टेलीफोन कनेक्शन देने में अनियमितता व लापरवाही करना।
10. आयकर सम्पत्ति कर आदि को कम बताना या छिपाना।
11. भर्ती नियुक्ति स्थानान्तरण एवं पदोन्नति के सम्बन्ध में गैर-कानूनी रूप से धन लेना।
12. शासकीय आवास (क्वार्टरों) पर अनाधिकृत कब्जा एवं उन्हें गलत ढंग से किराए पर देना।
13. विस्थापितों के दावों का गलत मूल्यांकन करना।
14. रेल एवं वायुयान के सीट आरक्षण एवं कोटे में अनियमितता बरतना।
15. पुराने स्टांप या डाक टिकट का प्रयोग पत्र-व्यवहार में करना।.
16. जाति, जन्म व मृत्यु के जाली प्रमाण-पत्र पैसे लेकर बनाना।
17. शासकीय कर्मचारियों को अपने निजी कार्यों में प्रयोग करना।
18. बिना पूर्वानुमति या पूर्व सूचना के अचल सम्पत्ति अर्जित करना।
19. विस्थापितों के दावों के निपटान में अनावश्यक विलम्ब करना।
20. मनीऑर्डर बीमा एवं मूल्य देय पार्सलों को प्राप्तकर्ता को न देना।
21. आयात-निर्यात लाइसेंस देने में अनियमितता।
22. शासकीय कर्मचारी की जानकारी एवं सहयोग से साँठ-गाँठ करके कम्पनियों के आयातित एवं आवंटित कोटे का दुरुपयोग करना।
23. झूठे दौरों, भत्तों, बिल एवं गृह किराया आदि का दावा करना।
24. वाहन खरीदने के लिए स्वीकृत अग्रिम धनराशि का दुरुपयोग करना।
25. ऐसी फर्मों या व्यक्तियों से ऋण लेना जिनसे कार्यालयीन सम्बन्ध हैं।
26. जिन व्यक्तियों से अधिकारियों के कार्यालयीन सम्बन्ध हैं, उनके वित्तीय दायित्वों को वहन करना।
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- प्रश्न- सन 1909 ई. अधिनियम पारित होने के कारण बताइये।
- प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम, (1909 ई.) के प्रमुख प्रावधानों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम, 1909 ई. के मुख्य दोषों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 1935 के भारत सरकार अधिनियम की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
- प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम, 1935 ई. का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए।
- प्रश्न- 'भारत के प्रजातन्त्रीकरण में 1935 ई. के अधिनियम ने एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। क्या आप इस कथन से सहमत हैं?
- प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम, 1919 ई. के प्रमुख प्रावधानों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सन् 1995 ई. के अधिनियम के अन्तर्गत गर्वनरों की स्थिति व अधिकारों का परीक्षण कीजिए।
- प्रश्न- माण्टेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार (1919 ई.) के प्रमुख गुणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लोकतंत्र के आयाम से आप क्या समझते हैं? लोकतंत्र के सामाजिक आयामों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- लोकतंत्र के राजनीतिक आयामों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- भारतीय राजनीतिक व्यवस्था को आकार देने वाले कारकों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- भारतीय राजनीतिक व्यवस्था को आकार देने वाले संवैधानिक कारकों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- संघवाद (Federalism) से आप क्या समझते हैं? क्या भारतीय संविधान का स्वरूप संघात्मक है? यदि हाँ तो उसके लक्षण क्या-क्या हैं?
- प्रश्न- भारतीय संविधान संघीय व्यवस्था स्थापित करता है। संक्षेप में बताएँ।
- प्रश्न- संघवाद से आप क्या समझते हैं? संघवाद की पूर्व शर्तें क्या हैं? भारत के सन्दर्भ में संघवाद की उभरती हुई प्रवृत्तियों की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- भारत के संघवाद को कठोर ढाँचे में नही ढाला गया है" व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- राज्यों द्वारा स्वयत्तता (Autonomy) की माँग से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- क्या भारत को एक सच्चा संघ (True Federation) कहा जा सकता है?
- प्रश्न- संघीय व्यवस्था में केन्द्र शक्तिशाली है क्यों?
- प्रश्न- क्या भारतीय संघीय व्यवस्था में गठबन्धन की सरकारें अपरिहार्य हैं? चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- क्या क्षेत्रीय राजनीतिक दल भारतीय संघीय व्यवस्था के लिए संकट है? चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- केन्द्रीय सरकार के गठन में क्षेत्रीय राजनीतिक दलों की भूमिका की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भारत में गठबन्धन सरकार की राजनीति क्या है? गठबन्धन धर्म से क्या तात्पर्य है?
- प्रश्न- भारत के प्रमुख राजनीतिक दलों के विषय में संक्षिप्त जानकारी दीजिए।
- प्रश्न- राजनीतिक दलों का वर्गीकरण करें। दलीय पद्धति कितने प्रकार की होती है? गुण-दोषों के आधार पर विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- दलीय पद्धति के लाभ व हानियाँ क्या हैं?
- प्रश्न- भारतीय दलीय व्यवस्था में पिछले 60 वर्षों में आए परिवर्तनों के कारणों की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक उदारवाद के इस युग में भारत में गठबंधन की राजनीति के भविष्य की आलोचनात्मक चर्चा कीजिए।
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- प्रश्न- दबाव समूह व राजनीतिक दलों में क्या-क्या अन्तर है?
- प्रश्न- भारत में क्षेत्रीय दलों के उदय एवं विकास के लिए उत्तरदायी तत्व कौन से हैं?
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- प्रश्न- क्षेत्रीय दलों के अवगुण, टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम क्या है? सामुदायिक विकास कार्यक्रम का क्या उद्देश्य है?
- प्रश्न- 73वाँ संविधान संशोधन अधिनियम की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- पंचायती राज से आप क्या समझते हैं? ग्रामीण पुननिर्माण में पंचायतों के कार्यों एवं महत्व को बताइये।
- प्रश्न- भारतीय ग्राम पंचायतों के दोषों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- ग्राम पंचायतों का ग्रामीण समाज में क्या महत्व है?
- प्रश्न- क्षेत्र पंचायत के संगठन तथा कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- जिला पंचायत का संगठन तथा ग्रामीण समाज में इसकी भूमिका की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भारत में स्थानीय शासन के सम्बन्ध में 'पंचायत राज' के सिद्धान्त व व्यवहार की आलोचना कीजिए।
- प्रश्न- नगरपालिका क्या है? तथा नगरपालिका के कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नगरीय स्वायत्त शासन की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- ग्राम सभा के प्रमुख कार्य बताइये।
- प्रश्न- ग्राम पंचायत की आय के प्रमुख साधन बताइये।
- प्रश्न- पंचायती व्यवस्था के चार उद्देश्य बताइये।
- प्रश्न- ग्राम पंचायत के चार अधिकार बताइये।
- प्रश्न- न्याय पंचायत का गठन किस प्रकार किया जाता है?
- प्रश्न- ग्राम पंचायत से आप क्या समझते तथा ग्राम सभा तथा ग्राम पंचायत में क्या अन्तर है?
- प्रश्न- ग्राम पंचायत की उन्नति के लिए सुझाव दीजिए।
- प्रश्न- ग्रामीण समुदाय पर पंचायत के प्रभाव का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में पंचायत राज संस्थाएँ बताइये।
- प्रश्न- क्षेत्र पंचायत का ग्रामीण समाज में क्या महत्व है?
- प्रश्न- ग्राम पंचायत के महत्व को बढ़ाने के लिए सरकार के द्वारा क्या प्रयास किये गये हैं?
- प्रश्न- नगर निगम के संगठनात्मक संरचना का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नगर निगम के भूमिका एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नगरीय स्वशासन संस्थाओं की समस्याओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नगरीय निकायों की संरचना पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- नगर पंचायत पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- दबाव व हित समूह में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- दबाव समूह से आप क्या समझते हैं? दबाव समूहों के क्या लक्षण हैं? दबाव समूहों द्वारा अपनाई जाने वाली कार्यप्रणाली के विषय में बतायें।
- प्रश्न- दबाव समूह अपने हित पूरा करने के लिए किस प्रकार कार्य करते हैं?
- प्रश्न- दबाव समूहों के महत्व पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- भारत के प्रमुख राजनीतिक दलों के विषय में संक्षिप्त जानकारी दीजिए।
- प्रश्न- दबाव समूह किसे कहते हैं? दबाव समूह के कार्यों को लिखिए। भारत की राजनीति में दबाव समूहों की भूमिका की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- मतदान व्यवहार क्या है? मतदान व्यवहार को प्रभावित करने वाले तत्वों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- दबाव समूह व राजनीतिक दलों में क्या-क्या अन्तर है?
- प्रश्न- दबाव समूहों के दोषों का वर्णन करें।
- प्रश्न- भारत में श्रमिक संघों की विशेषताएँ। टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- भारत में निर्वाचन पद्धति के दोषों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारत में निर्वाचन पद्धति के दोषों को दूर करने के सुझाव दीजिए।
- प्रश्न- जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1996 के अंतर्गत चुनाव सुधार के संदर्भ में किये गये प्रावधानों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- क्या निर्वाचन आयोग एक निष्पक्ष एवं स्वतन्त्र संस्था है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- चुनाव सुधारों में बाधाओं पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- मतदान व्यवहार को प्रभावित करने वाले तत्व बताइये।
- प्रश्न- चुनाव सुधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- अलगाव से आप क्या समझते हैं? अलगाववाद के कारण क्या हैं?
- प्रश्न- भारतीय राजनीति में धर्म की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- धर्मनिरपेक्षता से आप क्या समझते हैं? धर्मनिरपेक्षता के संवैधानिक पक्ष को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सकारात्मक राजनीतिक कार्यवाही से क्या आशय है? इसके लिए भारतीय संविधान में क्या प्रावधान किए गए हैं?
- प्रश्न- जाति को परिभाषित कीजिए। भारतीय राजनीति पर जातिगत प्रभाव का अध्ययन कीजिए। जाति के राजनीतिकरण की विवेचना भी कीजिए।
- प्रश्न- निर्णय प्रक्रिया में राजनीतिक दलों में जाति की क्या भूमिका है?
- प्रश्न- राज्यों की राजनीति को जाति ने किस प्रकार प्रभावित किया है?
- प्रश्न- क्षेत्रीयतावाद (Regionalism) से क्या अभिप्राय है? इसने भारतीय राजनीति को किस प्रकार प्रभावित किया है? क्षेत्रवाद के उदय के क्या कारण हैं?
- प्रश्न- भारतीय राजनीति पर क्षेत्रवाद के प्रभावों का अध्ययन कीजिए।
- प्रश्न- क्षेत्रवाद के उदय के लिए कौन-से तत्व जिम्मेदार हैं?
- प्रश्न- भारत में भाषा और राजनीति के सम्बन्धों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- उर्दू और हिन्दी भाषा को लेकर भारतीय राज्यों में क्या विवाद है? संक्षेप में चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- भाषा की समस्या हल करने के सुझाव दीजिए।
- प्रश्न- साम्प्रदायिकता से आप क्या समझते हैं? साम्प्रदायिकता के उदय के कारण और इसके दुष्परिणामों की चर्चा करते हुए इसको दूर करने के सुझाव बताइये। भारतीय राजनीति पर साम्प्रदायिकता का क्या प्रभाव पड़ा? समझाइये।
- प्रश्न- साम्प्रदायिकता के उदय के पीछे क्या कारण हैं?
- प्रश्न- साम्प्रदायिकता के दुष्परिणामों की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- साम्प्रदायिकता को दूर करने के सुझाव दीजिये।
- प्रश्न- भारतीय राजनीति पर साम्प्रदायिकता के प्रभाव का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- जाति व धर्म की राजनीति भारत में चुनावी राजनीति को कैसे प्रभावित करती है। क्या यह सकारात्मक प्रवृत्ति है या नकारात्मक?
- प्रश्न- "वर्तमान भारतीय राजनीति में धर्म, जाति तथा आरक्षण प्रधान कारक बन गये हैं।" इस पर अपना दृष्टिकोण स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'जातिवाद' और सम्प्रदायवाद प्रजातंत्र के दो बड़े शत्रु हैं। टिप्पणी करें।
- प्रश्न- उत्तर प्रदेश के बँटवारे की राजनीति को समझाइए।
- प्रश्न- जन राजनीतिक संस्कृति के विकास के कारण का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 'भारतीय राजनीति में जाति की भूमिका' संक्षिप्त मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- चुनावी राजनीति में भावनात्मक मुद्दे पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भ्रष्टाचार से क्या अभिप्राय है? भ्रष्टाचार की समस्या के लिए कौन से कारण उत्तरदायी हैं? इस समस्या के समाधान के लिए उपाय बताइए।
- प्रश्न- भ्रष्टाचार के लिए कौन-कौन से कारण उत्तरदायी हैं?
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- प्रश्न- भ्रष्टाचार क्या है? भारत के आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक, व्यापारिक एवं धार्मिक क्षेत्रों में व्याप्त भ्रष्टाचार का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत के आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक, व्यापारिक एवं धार्मिक क्षेत्रों में व्याप्त भ्रष्टाचार का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भ्रष्टाचार के प्रभावों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार की रोकथाम के सुझाव दीजिये।
- प्रश्न- भ्रष्टाचार से आप क्या समझते हैं? इसके प्रकारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भ्रष्टाचार की विशेषताओं को बताइए।
- प्रश्न- लोक जीवन में भ्रष्टाचार के कारण बताइये।
- प्रश्न- राष्ट्रपति शासन क्या है? यह किन परिस्थितियों में लागू होता है? राष्ट्रपति शासन लगने से क्या परिवर्तन होता है?
- प्रश्न- दल-बदल की समस्या (भारतीय राजनैतिक दलों में)।
- प्रश्न- राष्ट्रपति और प्रधानमन्त्री के सम्बन्धों पर वैधानिक व राजनीतिक दृष्टिकोण क्या है? उनके सम्बन्धों के निर्धारक तत्व कौन-से हैं?
- प्रश्न- दल-बदल कानून (Anti Defection Law) पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- संविधान के क्रियाकलापों पर पुनर्विलोकन हेतु स्थापित राष्ट्रीय आयोग (2002) की दलबदल नियम पद संस्तुति, टिप्पणी कीजिए।